Can One Person Have Multiple Bank Accounts? आज के डिजिटल युग में बैंकिंग बेहद सरल हो चुकी है। एक समय था जब खाता खुलवाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता था, कई कागजात जमा करने होते थे और प्रक्रिया में हफ्तों लग जाते थे। लेकिन अब बैंक अकाउंट खोलना मोबाइल फोन से कुछ ही मिनटों का काम बन गया है।
आज ज़्यादातर लोगों के पास कम से कम एक बैंक खाता जरूर है, और कई लोगों के पास दो या तीन से ज्यादा खाते भी होते हैं। खासकर सरकार की “जनधन योजना” के बाद ग्रामीण इलाकों में भी बैंकिंग की पहुंच बहुत बढ़ी है।
अब सवाल यह है कि क्या एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट हो सकते हैं? इसका जवाब है – हां, हो सकते हैं। लेकिन क्या ये फायदेमंद होता है? इसका जवाब थोड़ा विचार मांगता है।
क्या बैंक अकाउंट की कोई लिमिट होती है?
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने किसी भी व्यक्ति के बैंक खातों की संख्या पर कोई सीधी सीमा नहीं लगाई है। यानी आप अगर चाहें तो एक साथ कई बैंकों में अपने सेविंग अकाउंट खोल सकते हैं – 5, 10 या उससे भी ज्यादा।
लेकिन बात सिर्फ तकनीकी अनुमति की नहीं है, बल्कि समझदारी की भी है। जब आपके पास बहुत सारे बैंक अकाउंट होते हैं, तो उन्हें संभालना और सभी का ध्यान रखना एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है।
क्या कई अकाउंट रखना सही है?
कुछ लोग अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग खाते खोलते हैं:
- एक बैंक में सैलरी खाता
- दूसरे बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट
- किसी बैंक में बच्चों की सेविंग के लिए खाता
- किसी बैंक में बिजनेस या लोन से जुड़ा खाता
शुरुआत में ये सब फायदेमंद लगता है, लेकिन जैसे-जैसे खाते बढ़ते हैं, वैसे-वैसे झंझट भी बढ़ते हैं।
कई खाते होने से क्या समस्याएं हो सकती हैं?
1. मिनिमम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल
हर बैंक में मिनिमम बैलेंस की सीमा अलग-अलग होती है – किसी में ₹500, किसी में ₹5000 तक। अगर आपके पास 4-5 खाते हैं, तो हर खाते में मिनिमम बैलेंस बनाए रखना एक चुनौती बन जाता है।
अगर ऐसा नहीं किया गया, तो बैंक हर महीने जुर्माना काटता है।
2. फालतू के बैंक चार्जेस
हर अकाउंट के साथ कुछ न कुछ चार्ज जुड़ा होता है – जैसे:
- डेबिट कार्ड की वार्षिक फीस
- SMS अलर्ट फीस
- नेट बैंकिंग सर्विस चार्ज
- चेकबुक चार्ज
- ATM इस्तेमाल की सीमा से ज्यादा ट्रांजैक्शन पर शुल्क

अगर आप सोचें कि हर खाते से सालाना ₹500-₹1000 कट रहे हैं, और आपके पास 4-5 खाते हैं, तो आप हर साल ₹2000-₹5000 सिर्फ चार्जेस में ही गंवा सकते हैं।
3. ट्रांजैक्शन और पासवर्ड की झंझट
हर अकाउंट का पासवर्ड अलग, UPI अलग, नेट बैंकिंग डिटेल अलग। ये सब याद रखना आसान नहीं होता। कभी-कभी गलती से गलत बैंक का इस्तेमाल करने से ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है।
4. डॉर्मेंट (निष्क्रिय) खाता बन जाने का खतरा
जो खाते लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होते, बैंक उन्हें ‘डॉर्मेंट अकाउंट’ घोषित कर देता है। ऐसे खातों में फर्जीवाड़ा होने का खतरा ज्यादा होता है, और आपको पता भी नहीं चलता।
क्या एक ही सेविंग अकाउंट रखना ज्यादा बेहतर है?
जी हां। एक या दो अच्छे बैंक खाते रखना और उन्हें अच्छे से मैनेज करना ही सबसे समझदारी वाला फैसला है।
फायदे:
- एक ही डेबिट कार्ड से खर्च करना
- सारे ट्रांजैक्शन एक ही स्टेटमेंट में देख सकते हैं
- सर्विस चार्ज और अन्य शुल्क में बचत
- बैलेंस बनाए रखना आसान
- ऑनलाइन और UPI ट्रांजैक्शन की निगरानी आसान
RBI का क्या कहना है?
RBI ने कहा है कि व्यक्ति के बैंक खातों की संख्या पर कोई सीधी रोक नहीं है। लेकिन हर बैंक खाते को सक्रिय और संतुलित रखने की जिम्मेदारी ग्राहक की होती है।
अगर कोई खाता लंबे समय तक निष्क्रिय रहा, या उसमें बैलेंस नहीं रहा, तो वह खाता इनएक्टिव हो सकता है और उस पर जुर्माना लग सकता है।
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क्रेडिट स्कोर पर कैसे पड़ता है असर?
बहुत से लोग नहीं जानते कि अगर आपके कई खाते हैं और कुछ में ट्रांजैक्शन नहीं हो रहे या बैलेंस लगातार कम है, तो इसका CIBIL स्कोर पर भी असर पड़ सकता है।
कम क्रेडिट स्कोर होने से लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में दिक्कत आती है। बैंकों को लगता है कि आप अपनी फाइनेंशियल स्थिति को अच्छे से संभाल नहीं पा रहे हैं।
तो क्या करें? कैसे रखें अपने बैंक खातों को बेहतर तरीके से?
यहां कुछ आसान लेकिन बेहद जरूरी सुझाव दिए जा रहे हैं:
- जरूरत से ज्यादा बैंक अकाउंट न खोलें।
- जिन खातों का इस्तेमाल नहीं हो रहा, उन्हें बंद करवा दें।
- सभी खातों की पासबुक और स्टेटमेंट समय-समय पर चेक करते रहें।
- SMS और ईमेल अलर्ट चालू रखें ताकि किसी भी संदिग्ध ट्रांजैक्शन की तुरंत जानकारी मिले।
- एक फोल्डर बनाकर सभी बैंक डिटेल्स सुरक्षित रखें – जैसे पासबुक, कार्ड, IFSC कोड आदि।
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए राम के पास 5 बैंक अकाउंट हैं – HDFC, SBI, ICICI, PNB और Axis Bank।
हर खाते में मिनिमम ₹5000 बैलेंस रखना है। यानी कुल ₹25,000 उसके खाते में ऐसे ही फंसे हुए हैं।
हर खाते से ₹750 सालाना चार्ज भी कट रहा है – यानी कुल ₹3750 साल में सिर्फ चार्जेस में जा रहे हैं।
अगर राम सिर्फ दो खाते रखे, तो न सिर्फ उसे ₹15,000 का फ्लोटिंग बैलेंस मिल जाता, बल्कि ₹2000-₹2500 चार्जेस की भी बचत होती।
निष्कर्ष – बैंकिंग में अपनाएं ‘कम लेकिन बेहतर’ का फॉर्मूला
तो अब स्पष्ट है कि एक व्यक्ति एक से ज्यादा बैंक अकाउंट खोल सकता है – लेकिन क्या वाकई में ऐसा करना फायदेमंद है?
नहीं।
अगर आप अपने पैसों को बेहतर ढंग से मैनेज करना चाहते हैं, तो 1 या 2 सेविंग अकाउंट काफी हैं।
कम खाते रखकर आप:
- समय बचा सकते हैं
- पैसे की बचत कर सकते हैं
- मानसिक शांति भी पा सकते हैं
तो अगली बार जब बैंक अकाउंट खोलने का मन हो, तो एक बार ज़रूर सोचिए – क्या इसकी वाकई ज़रूरत है?
बैंकिंग में भी वही नियम अपनाएं – स्मार्ट मैनेजमेंट, स्मार्ट सेविंग!
